होयसल शासकों की सूची:

होयसल राजवंश दक्षिण भारत का एक प्रमुख यादव वंश था, जिसने 10वीं से 14वीं शताब्दी तक वर्तमान कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर शासन किया। शुरुआत में इनकी राजधानी बेलूर थी, जिसे बाद में हालेबिदु (द्वारसमुद्र) स्थानांतरित किया गया। ​ यह वंश यादव कुल की एक शाखा थी और अपने शिलालेखों में स्वयं को ‘यदुकुलतिलक’ कहा है。

होयसल शासकों की सूची:

नृप कामा II (1026–1047): होयसल वंश के प्रारंभिक शासक।​
विनयादित्य (1047–1098): नृप कामा II के उत्तराधिकारी।​
एरेयंग (1098–1102): विनयादित्य के पुत्र।​
वीर बल्लाल I (1102–1108): एरेयंग के पुत्र।​
विष्णुवर्धन (1108–1152): होयसल साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, जिन्होंने वास्तुकला और कला को प्रोत्साहित किया।​
नरसिंह I (1152–1173): विष्णुवर्धन के पुत्र।​
वीर बल्लाल II (1173–1220): साम्राज्य का विस्तार करने वाले महत्वपूर्ण शासक।​
वीर नरसिंह II (1220–1235): वीर बल्लाल II के पुत्र।​
वीर सोमेश्वर (1235–1254): वीर नरसिंह II के पुत्र।​
नरसिंह III (1254–1291): वीर सोमेश्वर के पुत्र।​
वीर बल्लाल III (1292–1343): अंतिम प्रमुख होयसल शासक, जिनके शासनकाल में साम्राज्य का पतन हुआ।​
धर्म और संस्कृति:

होयसल शासक हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के प्रति सहिष्णु थे। राजा विष्णुवर्धन प्रारंभ में जैन थे, लेकिन संत रामानुज के प्रभाव में वैष्णव धर्म अपनाया। ​

वास्तुकला:

होयसल काल में मंदिर निर्माण की एक नई शैली का विकास हुआ। इन मंदिरों का निर्माण ऊँचे ठोस चबूतरों पर किया जाता था, जिनकी दीवारों पर हाथियों, अश्वारोहियों, हंसों, राक्षसों तथा पौराणिक कथाओं से संबंधित मूर्तियाँ उकेरी जाती थीं। बेलूर का चेन्नकेशव मंदिर और हालेबिदु का होयसलेश्वर मंदिर इसके प्रमुख उदाहरण हैं। ​
होयसल मंदिरों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली है, जो उनकी वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है।

होयसल राजवंश के प्रमुख युद्ध और उनका विवरण
होयसल राजवंश (10वीं – 14वीं शताब्दी) दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राजवंश था। उन्होंने अपनी सत्ता को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए कई युद्ध लड़े। इनमें चालुक्य, चोल, पांड्य, यादव और दिल्ली सल्तनत के खिलाफ हुए युद्ध प्रमुख हैं।

1. पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य के खिलाफ युद्ध (12वीं शताब्दी)
युद्ध के कारण:
होयसल वंश शुरू में पश्चिमी चालुक्यों के अधीन एक सामंत राज्य था। राजा विष्णुवर्धन (1108-1152 ई.) ने चालुक्यों की अधीनता से स्वतंत्र होने का प्रयास किया, जिससे संघर्ष शुरू हुआ।

युद्ध और परिणाम:
विष्णुवर्धन ने चालुक्यों के शासक वीर सोमेश्वर प्रथम के खिलाफ बगावत की।
1122 ई. में चालुक्यों से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली और होयसल साम्राज्य को एक स्वतंत्र सत्ता बना लिया।
बेल्लारी और धारवाड़ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।
इस युद्ध के बाद होयसल वंश दक्षिण भारत की प्रमुख शक्तियों में से एक बन गया।
2. चोल साम्राज्य के खिलाफ युद्ध (12वीं शताब्दी)
युद्ध के कारण:
चोल वंश दक्षिण भारत में सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था और होयसल इसे चुनौती देना चाहता था।
राजा विष्णुवर्धन ने चोलों को हराने के लिए चालुक्यों के साथ गठबंधन किया।
युद्ध और परिणाम:
1130 ई. में कावेरी नदी के किनारे युद्ध हुआ।
विष्णुवर्धन ने चोल साम्राज्य के प्रमुख शहरों पर आक्रमण किया।
चोलों को पीछे हटना पड़ा, लेकिन पूरी तरह हार नहीं हुई।
इस युद्ध से होयसल साम्राज्य ने तमिलनाडु के उत्तरी भागों पर प्रभाव जमाना शुरू किया।
3. पांड्य साम्राज्य के खिलाफ युद्ध (13वीं शताब्दी)
युद्ध के कारण:
पांड्य वंश ने चोलों को हराकर दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था।
होयसल राजा वीर बल्लाल II (1173-1220 ई.) ने पांड्यों को हराने की कोशिश की।
युद्ध और परिणाम:
1220 ई. में वीर बल्लाल II ने पांड्य साम्राज्य के प्रमुख क्षेत्रों पर आक्रमण किया।
कुछ क्षेत्रों पर अस्थायी रूप से कब्जा किया, लेकिन पांड्यों को पूरी तरह हराने में असफल रहे।
पांड्यों ने जल्द ही अपने क्षेत्रों को वापस जीत लिया।
4. यादव वंश के खिलाफ युद्ध (13वीं शताब्दी)
युद्ध के कारण:
होयसल और यादव (देवगिरि के यादव) वंश के बीच कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों पर अधिकार को लेकर संघर्ष हुआ।
वीर बल्लाल II ने यादवों के खिलाफ कई युद्ध लड़े।
युद्ध और परिणाम:
1210-1220 ई. के बीच कई युद्ध हुए।
कुछ लड़ाइयों में होयसलों को जीत मिली, लेकिन यादवों के खिलाफ निर्णायक जीत नहीं हो सकी।
यादवों के उत्तर में शक्तिशाली होने के कारण होयसलों को सीमित सफलता मिली।
5. दिल्ली सल्तनत के खिलाफ युद्ध (14वीं शताब्दी)
युद्ध के कारण:
दिल्ली सल्तनत के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई.) ने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया।
होयसल वंश ने दिल्ली सल्तनत के खिलाफ प्रतिरोध किया।
युद्ध और परिणाम:
1333 ई. में वीर बल्लाल III (1292-1343 ई.) ने दिल्ली सल्तनत की सेना से युद्ध किया।
पहले कुछ युद्धों में वीर बल्लाल III ने जीत हासिल की, लेकिन 1342 ई. में दिल्ली सल्तनत की सेना ने हलेबिडु पर हमला कर दिया।
1343 ई. में वीर बल्लाल III की मृत्यु के साथ ही होयसल वंश समाप्त हो गया।
निष्कर्ष
होयसल वंश ने चालुक्य, चोल, पांड्य, यादव और दिल्ली सल्तनत जैसी शक्तियों से युद्ध लड़े। विष्णुवर्धन और वीर बल्लाल II जैसे शासकों ने साम्राज्य का विस्तार किया, लेकिन अंततः दिल्ली सल्तनत के आक्रमण के कारण 14वीं शताब्दी में उनका पतन हो गया।

इन युद्धों ने दक्षिण भारत के इतिहास को बदल दिया और विजयनगर साम्राज्य के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।