परिचय:
भारतीय राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है। हालांकि राष्ट्रपति सीधा जनता द्वारा नहीं चुना जाता, बल्कि यह चुनाव एक अप्रत्यक्ष प्रक्रिया के माध्यम से होता है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक विशेष इलेक्टोरल कॉलेज तैयार किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रपति का चयन पूरे देश की राजनीतिक विविधता और संतुलन को ध्यान में रखते हुए हो।
1. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया:
- इलेक्टोरल कॉलेज:
- सदन:
- लोकसभा के सभी निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानसभाएँ:
- सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (दिल्ली और पुडुचेरी भी शामिल हैं)
इन सदस्यों को मिलाकर इलेक्टोरल कॉलेज तैयार होता है, जो राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट करता है।
- सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (दिल्ली और पुडुचेरी भी शामिल हैं)
- सदन:
- मत देने की प्रणाली:
राष्ट्रपति चुनाव में एकल स्थानांतरणीय वोटिंग (Single Transferable Vote – STV) का प्रयोग किया जाता है।- प्रत्येक सदस्य एक पसंदीदा उम्मीदवार की सूची भरता है।
- मतों का वजन एक विशेष फार्मूला के अनुसार तय किया जाता है, ताकि राज्यों की आबादी और संसद में उनके प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहे।
- मतदाता अपने प्रथम पसंद के उम्मीदवार को वोट देते हैं, और यदि उनका उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए आवश्यक मतों का स्तर (quota) नहीं पहुंच पाता, तो उनका अतिरिक्त वोट दूसरी पसंद के उम्मीदवार को ट्रांसफर हो जाता है।
- इस प्रक्रिया से तब तक उम्मीदवारों को चुना जाता है जब तक कि किसी को न्यूनतम आवश्यक मतों का समर्थन न मिल जाए।
- मतों का गणना और क्वोटा:
- क्वोटा (चयन सीमा) निकालने के लिए डबल-आवश्यक संख्या (Total Value of Votes)/(Number of positions + 1) का सूत्र प्रयोग किया जाता है।
- इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल वही उम्मीदवार चुने जाएँ जिन्हें पर्याप्त समर्थन प्राप्त हो।
2. पिछले राष्ट्रपति चुनाव के उदाहरण:
- 2022 का राष्ट्रपति चुनाव:
- उम्मीदवार:
- द्रौपदी मुर्मू (डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक दल का समर्थन प्राप्त)
- उनके विरोधी उम्मीदवार भी रहे, लेकिन अंत में डॉ. द्रौपदी मुर्मू को इलेक्टोरल कॉलेज में काफी मतों का समर्थन मिला।
- परिणाम:
- Smt. मुर्मू को निर्वाचित किया गया, और वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं।
- महत्वपूर्ण बिंदु:
- इस चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के मतों के वितरण के आधार पर चुनाव हुआ, जिसमें राज्यों के सदस्यों का विशेष महत्व था।
- मतों का वजन राज्यों की आबादी और संसद में उनके प्रतिनिधित्व के आधार पर निर्धारित किया गया।
- उम्मीदवार:
- पूर्व के राष्ट्रपति चुनाव:
- 2017 में प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ था।
- 2012 में भी एक अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से राष्ट्रपति का चयन हुआ था, जिसमें विभिन्न दलों के निर्वाचित सदस्यों ने भाग लिया था।
3. चुनाव का महत्व और चुनौतियाँ:
- संवैधानिक महत्व:
राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान में सर्वोच्च मान्यता रखता है। राष्ट्रपति सभी संवैधानिक संस्थानों का संरक्षक होते हैं और उनके कर्तव्यों में विधायी, कार्यकारी और न्यायिक प्रक्रियाओं का संतुलन बनाए रखना शामिल है। - चुनौतीपूर्ण मुद्दे:
- इलेक्टोरल कॉलेज में मतों का उचित वितरण सुनिश्चित करना।
- उम्मीदवारों की नीतियों और सार्वजनिक छवि को लेकर राजनीतिक दलों के बीच संतुलन बनाना।
- विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के मतों के वजन का सही निर्धारण करना।
4. संक्षेप में:
भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव एक अप्रत्यक्ष, लेकिन बेहद विचारशील प्रक्रिया है। इसमें देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं जो एकल स्थानांतरणीय वोटिंग प्रणाली के माध्यम से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनते हैं। इस प्रक्रिया में मतों का वजन राज्यों के प्रतिनिधित्व के आधार पर तय होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर क्षेत्र की आवाज़ सुनाई दे। 2022 के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत ने इस प्रणाली की सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया।