कृषि सुधार और किसान आंदोलन

1. परिचय

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ कृषि और इससे जुड़े क्षेत्र लगभग 58% आबादी की आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। समय-समय पर सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए नीतियाँ बनाई जाती रही हैं, लेकिन कई बार ये नीतियाँ किसानों के लिए विवादास्पद भी साबित हुई हैं।

हाल ही में, कृषि कानून 2020 के खिलाफ हुआ किसान आंदोलन भारत के इतिहास में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक था। किसानों ने इन कानूनों को “कृषि विरोधी” बताते हुए लंबे समय तक आंदोलन किया, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को इन्हें वापस लेना पड़ा।


2. भारत में कृषि सुधार (Agricultural Reforms in India)

(i) हरित क्रांति (Green Revolution) – 1960 के दशक में कृषि सुधार

✅ उच्च उत्पादन देने वाले बीजों (HYV) का उपयोग।
✅ रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बढ़ता प्रयोग।
✅ सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और ट्रैक्टर जैसी मशीनों का उपयोग।

प्रभाव: भारत अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया, लेकिन भूमि की उर्वरता घटने और छोटे किसानों की समस्याएँ बढ़ने जैसी चुनौतियाँ भी सामने आईं।

(ii) उदारीकरण के बाद कृषि सुधार (Post-1991 Agricultural Reforms)

✅ कृषि उपज बाजार समिति (APMC) में सुधार।
✅ निजी निवेश को बढ़ावा।
✅ कृषि निर्यात को प्रोत्साहन।
✅ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और माइक्रोफाइनेंस योजनाएँ।


3. कृषि कानून 2020 और विवाद (Farm Laws 2020 & Controversy)

सितंबर 2020 में, सरकार ने कृषि सुधार के उद्देश्य से तीन नए कृषि कानून पारित किए।

(i) कृषि कानून 2020 के प्रमुख प्रावधान

1️⃣ कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020
➡ किसानों को APMC मंडियों के बाहर भी अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता।

2️⃣ मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर समझौता (संविदा खेती) कानून 2020
➡ किसानों को अनुबंध (Contract Farming) के तहत कंपनियों को फसल बेचने की अनुमति।

3️⃣ आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020
➡ अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाया गया।


4. किसान आंदोलन 2020-21 (Farmers’ Protest 2020-21)

कारण: किसानों को लगा कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली और मंडी व्यवस्था को कमजोर कर देंगे, जिससे वे कॉर्पोरेट कंपनियों पर निर्भर हो जाएँगे।

(i) आंदोलन की प्रमुख घटनाएँ

📍 26 नवंबर 2020: लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे।
📍 26 जनवरी 2021: ट्रैक्टर रैली और लाल किले पर घटना।
📍 19 नवंबर 2021: सरकार ने कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
📍 29 नवंबर 2021: संसद ने आधिकारिक रूप से कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया।

(ii) आंदोलन के प्रभाव

✅ किसानों की एकता और ताकत का प्रदर्शन।
MSP पर कानूनी गारंटी की माँग चर्चा में आई।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की राजनीति में भागीदारी बढ़ी।


5. किसानों की प्रमुख समस्याएँ (Major Issues Faced by Farmers)

(i) आर्थिक समस्याएँ

❌ लागत बढ़ रही है, लेकिन आय नहीं बढ़ रही।
❌ कर्ज में वृद्धि – 50% से अधिक किसान ऋणग्रस्त हैं।
❌ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सीमित उपलब्धता।

(ii) पर्यावरणीय समस्याएँ

❌ अत्यधिक कीटनाशकों और उर्वरकों से मिट्टी की उर्वरता घट रही है।
❌ जल संकट – पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
❌ जलवायु परिवर्तन – बेमौसम बारिश, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।

(iii) संरचनात्मक समस्याएँ

❌ छोटे और सीमांत किसान (85% से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि)।
❌ मंडी व्यवस्था और बिचौलियों की समस्या।
❌ आधुनिक तकनीक और शिक्षा की कमी।


6. हालिया कृषि सुधार और योजनाएँ (Recent Agricultural Reforms & Schemes)

(i) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुधार

✅ सरकार ने 22 फसलों के लिए MSP तय किया।
✅ किसानों की माँग – MSP को कानूनी दर्जा दिया जाए।

(ii) प्रमुख सरकारी योजनाएँ

1️⃣ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) – ₹6,000 प्रति वर्ष छोटे किसानों को।
2️⃣ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) – प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा।
3️⃣ कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड – भंडारण और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ बढ़ाने के लिए।
4️⃣ ई-नाम (e-NAM) – ऑनलाइन कृषि बाजार, ताकि किसान अपनी फसल देशभर में बेच सकें।

(iii) जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

✅ सरकार ने आत्मनिर्भर कृषि योजना के तहत प्राकृतिक खेती (Zero Budget Farming) को बढ़ावा दिया।
✅ जैविक खेती के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)


7. किसानों के लिए आगे की राह (Way Forward for Farmers’ Development)

MSP को कानूनी दर्जा देने पर विचार।
मंडी सुधार और डिजिटल प्लेटफार्म को बढ़ावा।
छोटे किसानों को संगठित करने के लिए FPOs (Farmer Producer Organizations) का विस्तार।
जलवायु अनुकूल कृषि और जैविक खेती को बढ़ावा।
कृषि तकनीक, रोबोटिक्स, और ड्रोन का उपयोग।


8. निष्कर्ष

भारत में कृषि सुधार आवश्यक हैं, लेकिन उन्हें किसानों की भागीदारी और सहमति से लागू करना चाहिए। किसानों की आर्थिक, पर्यावरणीय और संरचनात्मक समस्याओं को दूर किए बिना, केवल नीतिगत सुधार प्रभावी नहीं होंगे।

💡 संतुलित कृषि सुधार और किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई नीतियाँ ही भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकती हैं।


📌 परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

हरित क्रांति का प्रभाव – उत्पादन बढ़ा, लेकिन पर्यावरणीय समस्याएँ आईं।
कृषि कानून 2020 – तीन प्रमुख कानून और उनका उद्देश्य।
किसान आंदोलन 2020-21 – MSP गारंटी की माँग और आंदोलन का प्रभाव।
कृषि से जुड़ी योजनाएँ – PM-KISAN, PMFBY, e-NAM।
कृषि सुधार की भविष्य की दिशा – जैविक खेती, तकनीक का उपयोग, किसानों के लिए डिजिटल मार्केट।

अगर आपको कोई और विशेष जानकारी चाहिए, तो बताइए! 😊