भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, ने औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 को प्रतिस्थापित किया है। यह परिवर्तन भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने और वर्तमान सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
बीएनएस में शामिल कुछ प्रमुख नए प्रावधान:
-
धोखे से विवाह का वादा (धारा 69): इस प्रावधान के तहत, विवाह का झूठा वादा करके किसी व्यक्ति को धोखा देना अपराध माना गया है, जिसमें 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
-
भीड़ द्वारा हिंसा (मॉब लिंचिंग): बीएनएस में भीड़ द्वारा की गई हिंसा और घृणा अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, जिसमें आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक शामिल हैं।
-
संगठित अपराध: पहली बार, संगठित अपराधों को साधारण आपराधिक कानून के तहत लाया गया है, जिसमें अपराध की गंभीरता के आधार पर 5 वर्ष से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
-
आतंकवाद: आतंकवाद को साधारण आपराधिक कानून के तहत शामिल किया गया है, जिसमें आतंकवाद को वित्तीय सहायता प्रदान करना भी शामिल है।
-
आत्महत्या का प्रयास: यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्यों से रोकने के उद्देश्य से करता है, तो उसे एक वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
बीएनएस में हटाए गए कुछ प्रमुख प्रावधान:
-
अप्राकृतिक यौन अपराध (धारा 377): इस धारा को हटा दिया गया है, जो पहले समलैंगिकता और अन्य “अप्राकृतिक” यौन कृत्यों को अपराध मानती थी।
-
व्यभिचार: 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किए गए व्यभिचार को बीएनएस से हटा दिया गया है।
-
ठगी: आईपीसी की धारा 310, जो ठगों को अपराधी मानती थी, को बीएनएस से हटा दिया गया है।
-
लिंग-निरपेक्षता: कुछ अपराधों में लिंग-निरपेक्षता को शामिल किया गया है, जिससे महिलाओं को भी कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन:
-
फर्जी समाचार: फर्जी या भ्रामक जानकारी के प्रकाशन को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
-
देशद्रोह: राजद्रोह को “देशद्रोह” के रूप में पुनर्परिभाषित किया गया है, जिसमें अलगाववादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
-
न्यूनतम अनिवार्य सजा: कई प्रावधानों में न्यूनतम अनिवार्य सजा का प्रावधान किया गया है, जिससे न्यायाधीशों के विवेकाधिकार में कमी आई है।
-
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान: सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अपराधों के लिए नुकसान की मात्रा के अनुसार जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
बीएनएस के सभी धाराओं की विस्तृत जानकारी के लिए आप भारत सरकार के गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज़ों का संदर्भ ले सकते हैं।
यह परिवर्तन भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक समकालीन, न्यायसंगत और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।